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काशी के ऐतिहासिक मणिकर्णिका महा श्मशान घाट के पुनर्विकास का कार्य शुरू हो गया है। ऐसे में घर से मलबा हटाया जा रहा है। इधर कार्यदायी संस्था ने घाट पर दलदली मिट्टी को देखते हुए ऐतिहासिक घाट के डिजाइन में फेरबदल का फैसला लिया है। पहले से मौजूद 22 शवदाह प्लेटफार्म की जगह अब सिर्फ 18 शवदाह प्लेटफार्म ही इस घाट पर रहेंगे।
मणिकर्णिका का पुनर्विकास कार्य सीएसआर फंड से 18 करोड़ रुपए में किया जाना है। जिससे नगर निगम की देखरेख में कार्यदायी संस्था बना रही है। कार्यदायी संस्था ने एक्सपर्ट्स की राय के बाद गंगा की मिटटी दलदली होने की वजह से शवदाह प्लेटफार्म घटाने का फैसला किया है। 

लैब जांच के बाद हुआ खतरे का अंदेशा

ऐतिहासिक मणिकर्णिका घर के पुनर्विकास का कार्य शुरू हो चुका है। इस कार्य के पहले कार्यदायी संस्था ने यहां की मिट्टी का टेस्ट करवाया है। इसमें मिटटी दलदली निकली है। ऐसे में एक्सपर्ट की मानें तो यहां बहुत गहरी पाइलिंग करना खतरनाक होगा। ऐसे में यहां शवों के प्लेटफार्म की संख्या घटाने का निर्णय लिया गया है। यहां का निर्माण अब जी प्लस वन के हिसाब से होगा। 

29350 वर्ग मीटर में होना है कार्य

कार्यदायी संस्था के अधिकारियों के अनुसार 29350 वर्ग मीटर एरिया में काम कराया जाना है। यहां मिटटी दलदली है इसलिए 15 से 20 मीटर नीचे तक पाइलिंग कराई गई है। सख्त मिट्टी तक पाइलिंग का काम किया गया है। ताकि बाढ़ में यहां के निर्माण को किसी भी तरह की दिक्कत न हो। इस श्मशान घाट पर 25 मीटर ऊंची चिमनी भी लगाईं जाएगी ताकि चिता की रखा हवा के सतह उड़ जाए और घरों में न जाए। 

ये रहेगी सुविधा

सीएसआर फंड से 18 करोड़ में होने वाले कायाकल्प में शवों के स्नान के लिए पवित्र जलकुंड, अपशिष्ट ट्रॉलियां, मुंडन क्षेत्र होंगे। चारों तरफ से कवर दाह संस्कार क्षेत्र में पांच बर्थ, सर्विस एरिया, अपशिष्ट संग्रह की व्यवस्था, सीढ़ियों, वेटिंग एरिया, भूतल पर पंजीकरण कक्ष, खुले में दाह संस्कार के लिए 18 प्लेटफॉर्म, लकड़ी भंडारण क्षेत्र, सामुदायिक प्रतीक्षा कक्ष, दो सामुदायिक शौचालय का निर्माण कराया जाएगा। यहां पूरा निर्माण कार्य चुनार और जयपुर के पत्थरों से किया जाएगा।

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