धन,दौलत और माल-खजाना छूट यही सब जाना है।
अपना-अपना करता फिरे क्यू, कोई काम न आना है
सांसो का यह ताना-बाना,एक दिन टूट ही जाना है।
जग में आया, जाने से पहले कर्म सही कर जाना है।
मानवता और देशहित जीवन अर्पण कर जाना है।
- राजलक्ष्मी नन्दिनी जी
रिपोर्ट रोशनी