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वाराणसी : चातुर्मास के चार महीनों बाद योग निद्रा से मंगलवार को जागेंगे भगवान श्रीहरि । कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि पर मां तुलसी संग बात उनके विवाह का आयोजन धूमधाम ना से किया जाएगा। हर घर में तुलसी क विवाह के आयोजन होंगे। मां तुलसी हे को दुल्हन की तरह सजाकर दीप । जलाए जाएंगे, मंगल गीत गाए जाएंगे
देवोत्थान एकादशी के पवित्र दिन, देवी तुलसी का विवाह भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप के साथ विधिपूर्वक किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, तुलसी विवाह से दांपत्य जीवन में खुशियां, स्वास्थ्य, सुख शांति और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। काशी के असि घाट समेत अन्य प्रमुख घाटों पर इस अवसर पर बड़ी संख् में महिलाएं एकत्रित होती हैं। वे गंगा स्नान के बाद नए वस्त्र पहनकर विधिवत पूजा करती हैं। इसके बाद शालिग्राम
(भगवान हरि) और तुलसी का विवाह संपन्न होता है, जो हिंदू संस्कृति में विवाह और शुभ कार्यों की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन देवी तुलसी की पूजा करने से सभी बाधाओं का अंत होता है और अक्षय फल की प्राप्ति होती है।
मंदिरों और घाटों के अतिरिक्त लगभग प्रत्येक सनातनी घर में तुलसी विवाह का आयोजन होता है। भगवान श्रीहरि विष्णु व माता तुलसी को विभिन्न प्रकार के पकवानों, नैवेद्यों का भोग लगाया जाएगा तथा भगवान विष्णु को नए गन्ने का रस अर्पित किया जाएगा।
रिपोर्ट धनेश्वर सहनी