वाराणसीः आज नवरात्रि की अष्टमी और कल नवमी तिथि है। ये दोनों दिन देवी पूजा के लिए बेहद खास माने जाते हैं। जो लोग पूरी नवरात्रि देवी उपासना और व्रत-उपवास नहीं कर पाएं तो इन दो दिन व्रत-उपवास से पूरी नवरात्रि पूजन करने का पुण्य मिल जाता है।
अष्टमी और नवमी पर व्रत-उपवास
नवरात्रि में देवी दुर्गा की विधि-विधान से पूजा की जाती है। मार्कंडेय पुराण का कहना है कि इन दिनों में निराहर यानी बिना कुछ खाए देवी की पूजा करनी चाहिए। हालांकि कई लोगों के लिए ये मुश्किल होता है, इसलिए सिर्फ अष्टमी या नवमी पर इस तरह से कठिन तप और पूजा की जा सकती है। ऐसा करने से पूरे नवरात्र की पूजा का विशेष फल मिल सकता है।
कुछ लोग दोनों दिन भी व्रत-उपवास करते हैं। अष्टमी और नवमी पर किए गए व्रत-उपवास से तन और मन की शुद्धि तो होती ही है साथ ही देवी की कृपा से मनोकामना पूरी हो जाती है।
देवताओं ने भी किया था मां का पूजन
मार्कंडेय पुराण के मुताबिक देवताओं ने भी 9 दिनों तक देवी की विशेष पूजा की थी। देवराज इंद्र ने राक्षस वृत्रासुर का वध करने के लिए मां दुर्गा की विशेष पूजा-अर्चना की। यही नहीं भगवान शिव ने त्रिपासुर दैत्य के वध के लिए मां भगवती की पूजा की। जगत के पालनहार भगवान विष्णु ने मधु-कैटभ नामक दोनों असुरों का वध करने के लिए मां दुर्गा की पूजा की।
वाल्मीकि रामायण में भी शक्ति पूजा का जिक्र आता है जो उन्होंने रावण वध से पहले की थी। देवी मां के आशीर्वाद से ही भगवान राम को अमोघ बाण मिला था, जिससे वो रावण का वध कर पाएं। पांडवों ने भी अपनी शक्ति बढ़ाने, धर्म के रास्ते जीत के लिए देवी मां की उपासना की थी।
इन तीन दिनों में ध्यान रखने वाली बातें
1. अष्टमी और नवमी पर तामसिक भोजन न करें। यानी लहसुन, प्याज और मांस सहित ठंड-बासी और किसी भी तरह का दूषित खाना न खाएं।
2. इन तीनों दिनों में अनाज नहीं खाना चाहिए। बल्कि फलाहार ही करें।
3. पुराणों के मुताबिक व्रत के दौरान दिन में नहीं सोना चाहिए। ऐसा करने से व्रत भंग होता है यानी टूट जाता है।
4. इन दिनों में शराब, तंबाकू और हर तरह के नशे से दूर ही रहना चाहिए।
5. नवरात्रि के इन तीन दिनों में पति-पत्नी को शारीरिक संबंध बनाने से भी बचना चाहिए।