पूर्णेन्दुसुन्दर मुखात् अरविन्द नेत्रात् कृष्णात् परम् किमपि तत्वं अहं न जाने...श्री कृष्ण जन्मोत्सवस्युः प्रकट्टोउत्सव हार्दिक्य: शुभकामना: !!
जिनके...जन्म के भय से ही उनके माता पिता की स्वतंत्रता छीन ली गई थी क्या आश्चर्य यदि उनके जीवन का अधिकांश समय देश के राजनीतिक कांटों को साफ करने और प्रजा को अत्याचार और उत्पीड़न से मुक्त करने में व्यतति हुआ हो...
श्रीकृष्ण में सोलह कलाओं की अभिव्यक्ति है मनुष्य का मस्तिष्क मानवी विकास का जो पूर्णतम आदर्श बन सकता है वह हमें श्रीकृष्ण में मिलता है...नृत्य, गीत, वादित्र, सौन्दर्य, वाग्मिता, राजनीति, योग, अध्यात्म, ज्ञान सबका एकत्र समन्वय श्रीकृष्ण में पाया जाता है...
गौपालन, गौदोहन से लेकर राजसूय यज्ञ में ब्राह्मणों के चरण धोने तक तथा सुदामा की मैत्री से लेकर युद्धभूमि में गीता के उपदेश तक उनकी ऊँचाई का एक पैमाना है जिस पर सूर्य की किरणो के रंग बिरंगी स्पैक्ट्रम की तरह हमें आत्मिक विकास के हर एक स्वरूप का दर्शन होता है...#श्री_कृष्ण वह अवतार है
जिनमें एक साथ ब्रम्हा जी का ज्ञान,विष्णु जी की पोषक वृत्ति, शिव जी का संहारक स्वरूप है, गणेश जी की तीक्ष्ण बुद्धि है, प्रभु श्री राम जैसी निष्ठा है, वेदव्यास जी की दृष्टि है, विदूर की नीति है,युधिष्ठिर का धर्म है,भीम का बल है, अर्जुन का शौर्य है, भीष्म की प्रतिज्ञाएँ है, कर्ण की दानवीरता है...#कृष्ण में ज्ञान,कर्म और उपासना का अद्भुत संतुलन है...
उन्होंने हमें सदैव मूल्य आधारित जीवन जीने के लिये प्रेरित किया है, भौतिक और आध्यात्मिक जीवन में संतुलन बनाये रखें, असत्य और अधर्म के विरुद्ध सदैव क्रियाशील बनें रहे, ये ही सिखाया है...#कृष्ण भारतवर्ष के लिये एक अमूल्य निधि है,वे हमारी राष्ट्रीय संस्कृति के सर्वश्रेष्ठ प्रतिनिधि है महापुरुष श्रीकृष्ण से उदधृत, ब्रह्मांड का सबसे बड़ा धनुर्धारी उस दिन परेशान था...
वह अपने अवचेतन मन से ही एक लंबे समय ये लडा़ई कर रहा था...उसने कान्हा की ओर देखा और तुरंत प्रश्न दाग दिया...जीवन इतना कठिन क्यों हो गया है...श्रीकेशव मुस्कुरा उठे उन्होने कहा जीवन के बारे में सोचना बंद कर दो,ये जीवन को कठिन करता है,सिर्फ जीवन को जियो...पर अर्जुन अभी भी उद्धेलित थे उनके मन में एक एक प्रश्न आ-जा रहे थे वो पूछ बैठे...
हम सदैव दुखी क्यों रहते है...कृष्ण अपनी बांसुरी बजाते बजाते बीच में रूके और बोले चिंता करना तुम्हारी आदत बन चुकी है तुम दुखी हो...पर केशव लोगो को इतना कष्ट क्यों भुगतना पड़ता है...वासुदेव ने उसके कंधे पर हाथ रखा और हंसते हुए बोले,हीरे को रगड़ के बिना चमकाया नहीं जा सकता और सोने को कभी ताप के बिना खरा नहीं किया जा सकता अच्छे लोगो को परीक्षा के दौर से गुजरना पड़ता है ये कष्ट भुगतना नहीं हुआ अनुभव से जीवन सुखद बनता है
ना की दुखद...आप के कहने का मतलब है की ये अनुभव काम के है...मेरे कहने का मतलब यही है की अनुभव एक कठोर शिक्षक है जो पहले परीक्षा लेते है और बाद में पाठ पढाते है...पर केशव जीवन की बहुत सारी समस्याओं की वजह हमें ये ही समझ नहीं आता की हम किधर जा रहे है...श्रीकृष्ण बोले अगर बाहर देखोगे तो समझ नहीं आएगा की कंहा जा रहे है अपने भीतर देखो आँखे दिशा दिखाती है
और हृदय रास्ता...अर्जुन ने पूछा पर क्या असफलता ज्यादा दुखी करती है या सही दिशा में नहीं जा पाना...वासुदेव गंभीर हो गये बोल उठे सफलता का मापदंड हमेशा दूसरे लोग तय करते है और संतुष्टि का आप स्वयं...अर्जुन ने फिर पूछा कठिन समय में अपने आप को प्रेरित कैसे रखना चाहिए...जबाब मिला हमेशा देखो आप कितने दूर आ चुके हो बजाये ये देखने के की अभी कितनी दूर और जाना है हमेशा ध्यान रखे ईश्वर की कृपा से क्या मिला है ये नहीं की क्या नहीं मिला है...श्री कृष्ण ने आगे कहा लोगो के बारे में सबसे अधिक अचंभित करता है जब वे कठिनाई में होते है तो कहते है
“मैं ही क्यों” जब वो समृद्ध होते है तब कभी नहीं कहते की मैं क्यों... अर्जुन ने पूछा मैं अपने जीवन में सर्वश्रेष्ठ कैसे प्राप्त कर सकता हूँ...श्री योगेश्वर के होठो पर मुस्कान तैर गयी बोले अपने पिछले जीवन का बिना किसी खेद के सामना करो वर्तमान को आत्म विश्वास से जियो और भविष्य का सामना करने के लिए अपने को निडरता से तैयार रखो...अर्जुन ने अंतिम प्रश्न किया कई बार मुझे ऐसा लगता है की मेरी प्रार्थनाओं की सुनवाई नहीं होती...नीली छतरी वाला हँस पड़ा बोल उठा कोई भी ऐसी प्रार्थना नहीं है जिसकी सुनवाई न हुई हो विश्वास रखो और भय मुक्त हो जाओ जीवन एक पहेली है सुलझाने के लिए कोई समस्या नहीं है जिसका हल खोजा जाये मुझ पर विश्वास रखो जीवन बहुत सुन्दर है
अगर आपको जीना आता है तो हमेशा खुश रहो...अर्जुन के मन को एक चिर शांति मिल चूकी थी कान्हा बांसुरी बजाने में लीन हो गये...दुनिया के सबसे बडे़ मैनेजिंग डायरेक्टर और एकमात्र ऐसे दैविय शख्स जिन्होने कुरूक्षेत्र में सीना ठोककर कहा था कि...अर्जुन मैं ही 'ईश्वर' हूँ।। अपने जन्मोत्सव पर तुम जब नयनों के द्वार खोलोगे तो सामने शुभकामनाओं के सजे थालों से अधिक हम सभी की कामनाओं की गठरियां रखी पाओगे तुम्हारे द्वारे प्रार्थना में जुड़े दोनों हाथ फैलाकर स्वार्थी मन से हम बहुत कुछ माँगेंगे भी...हम इस संसार के लोग अभिशप्त हैं...
स्वार्थी होने के...तुम फिर भी आना कृष्ण...त्योहारों की ख़रीददारी केवल सनातनी दुकानदारों से ही कीजिये ताकि वो भी खुशी खुशी उत्सव मना सके...हिन्दू इकॉनमी को बूस्ट कीजिये..चीनी सामानों का बहिष्कार कीजिये..लोकल के वोकल बनिए...
अपने लोगों की मदद कीजिये... संघर्ष हमारा जारी है अब काशी मथुरा की बारी है...श्री कृष्ण जन्माष्टमी प्रकट्टोउत्सव के पावन पर्व पर ईकाई जेवर नगर ( संघ परिवार ) की सम्सत सनातनियों को सपरिवार हार्दिक शुभमंगलकामनायें