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नए जिलाध्यक्षों की सूची में पीडीए फॉर्मूले को प्राथमिकता दी जाएगी। यह 2024 के लोकसभा चुनाव में सपा की सफलता के बाद पीडीए फॉर्मूले को और मजबूत करने की रणनीति का हिस्सा है।
आमतौर पर सपा में दलित चेहरों को कम ही मौका मिलता रहा है। लेकिन, इस बार कई जिलों में दलित नेताओं को जिलाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी जा सकती है। जिससे बसपा के कमजोर होने का फायदा उठाया जा सके। नए चेहरों का सिलेक्शन उनके जमीनी स्तर पर काम और संगठन को मजबूत करने की क्षमता के आधार पर होगा।

कुर्मी समाज की भागीदारी बढ़ेगी

कुर्मी समाज को पार्टी में अच्छी भागीदारी मिलने की उम्मीद है। अभी तक पार्टी में यादव समाज के लोगों का वर्चस्व रहा है। लेकिन, लोकसभा चुनाव में कुर्मी समाज के लोगों ने बढ़-चढ़ कर सपा के पक्ष में मतदान किया था। इससे सपा की सीटों में इजाफा हुआ था। मायावती की कमजोरी का फायदा उठाने के लिए दलित समाज को अपनी ओर करने के लिए भी सपा दलित चेहरों पर दांव खेलेगी।
अयोध्या से सांसद चुने गए अवधेश प्रसाद काे सपा ने दलित आइकॉन बनाया हुआ है। उन्हें अखिलेश यादव ज्यादा तवज्जो दे रहे हैं। कहा जा रहा है कि ऐसे जिले, जहां दलित समाज का प्रभाव अधिक है या उनके मतदाताओं की संख्या अधिक है, वहां सपा दलित चेहरे को आगे बढ़ाएगी। इसी तरह अल्पसंख्यक समाज के लोगों को भी कुछ जिलों में आजमाया जा सकता है। वहीं, स्वर्ण समाज को 5 से 10 फीसदी हिस्सेदारी मिलने की उम्मीद है।

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