Shaurya News India
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काशीः रविवार को इंग्लिशया लाइन स्थित भारतीय शिक्षा मंदिर में आयोजित पुरातन कार्यकर्ता मिलन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वयोवृद्ध एवं पुराने कार्यकर्ता एक साथ उपस्थित हुए। 90 से 95 वर्ष के वे कार्यकर्ता उपस्थित हुए जो 1940 से 42 के बीच अथवा उसके आसपास के कालखंड में स्वयंसेवक बने।

 
मिलन कार्यक्रम में उपस्थित स्वयंसेवकों ने अपने परिचय के साथ-साथ संघ में वे स्वयंसेवक कैसे बने इसका संस्मरण सुनाया। अनुभव कथन में श्रीमूर्ति जी ने सन 1948 में परम पूज्य श्री गुरु जी द्वारा प्रदत्त प्रगति दंड के बारे में बताते हुए दण्ड प्रदर्शन भी किया। डा. बैजनाथ जी ने न्याय मंदिर शाखा पर परम पूज्य श्री गुरु जी के आगमन का संस्मरण किया। इसके अतिरिक्त पूर्व प्रांत शारीरिक शिक्षण प्रमुख रामसुचित पांडे जी, पूर्व प्रांत बौद्धिक शिक्षण प्रमुख डॉ रामदुलार जी, डॉ नागेंद्र पांडे जी, श्यामलाल जी, मुरलीधर जी, उमाशंकर रस्तोगी जी इत्यादि ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रारंभिक काल का वर्णन कर कहा कि विषम परिस्थितियों का सामना करते हुए आज संघ सौ वर्ष पूरे करने जा रहा है। अब वर्तमान पीढ़ी के हाथों में संघ की बागडोर है जिससे सौ वर्ष बाद भी आने वाली पीढ़ी संघ से परिचित हो सके और आदर्श राष्ट्र के निर्माण में स्वयंसेवक की भूमिका का निर्वहन कर सके। 


कार्यक्रम के अंत में अध्यक्षता करते हुए पूर्व महानगर संघचालक डॉक्टर बृजभूषण लाल ने कार्यक्रम की सार्थकता प्रतिपादित करते हुए और छोटे स्तर पर ऐसे मिलन की आवश्यकता बताई जिसे वर्तमान स्वयंसेवकों को प्रेरणा मिले। कार्यक्रम के अंत में मंचस्थ स्वयंसेवको को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। संचालन काशी महानगर के पूर्व शारीरिक शिक्षण प्रमुख विजयनाथ जी ने किया।

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