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मुकदमा तो छोड़िए पत्रकार को धमकी के मामले में भी लिखित तहरीर देने के 10 दिन बीत जाने के बावजूद दबंग से पूछताछ तक के लिए नही बुला रही थाना चौबेपुर पुलिस

तो क्या पुलिस ने अपने लिए कोई नया संविधान बना किया है, जिसका चाहे मुकदमा लिखे, जिसका चाहे न लिखें?

25 अक्टूबर को लिखित तहरीर देने के बावजूद क्यों नही हुआ कोई कार्यवाही

तो क्या हत्या होने के बाद ही पुलिस करेगी कार्यवाही

एक तरह सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ पत्रकारों के मामले में पुलिस किसी तरह की लापरवाही नही बरतने के लिए कहते है, वहीं पुलिस इसके उलट करने में लगी है

मामला वाराणसी कमिश्नरेट के वरूणा जोन जे चौबेपुर थाना क्षेत्र का है जहां मनबढ़ ने एक स्थानीय पत्रकार को फोन कर गाली-गलौज और मारने की धमकी देने की घटना सामने आई है। यह मामलें में पत्रकार ने तुरंत थाना प्रभारी को सूचित करते हुए

अपनी सुरक्षा की मांग की है। मामले की जांच जानकारी होते ही थाना प्रभारी चौबेपुर कहा कि ऐसे मनबढ़ों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। लेकिन लिखित तहरीर देने के 10 दिन बीत जाने के बाद भी कार्यवाही क्यों नही हुई??

 

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