अप्स और निजी कंपनियां, इसरो की इकाई इन-स्पेस की नई पहल भारत के अंतरिक्ष प्राधिकरण 'इन-स्पेस' ने एक नई पहल शुरू की है, जिसके तहत स्टार्ट-अप्स और निजी कंपनियों को अंतरिक्ष में प्रयोग करने का मौका मिलेगा। दरअसल, सोमवार को दो उपग्रहों को लॉन्च करने के बाद पीएसएलवी रॉकेट कक्षा (ऑर्बिट) में रहेगा।इसका चौथा चरण इन प्रयोगों के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। इस दौरान कुल 24 प्रयोग किए जाएंगे, जिनमें से 14 प्रयोग इसरो और 10 प्रयोग गैर-सरकारी संस्थाएं करेंगी।
क्या होंगे प्रयोग?
इस पहल के तहत अंतरिक्ष में बीजों के अंकुरण (गर्मियों में उगने वाले बीज) का परीक्षण, रोबोटिक हाथ से अंतरिक्ष में मलबे को पकड़ने का प्रयोग और जलवायु प्रोपल्शन सिस्टम (जलवायु को नुकसान न पहुंचाने वाला ईंधन) का परीक्षण शामिल है। ये प्रयोग पीएसएलवी आर्बिटल एक्सपेरिमेंट मॉड्यूल (पीओईएम) में किए जाएंगे।
इन-स्पेस प्रदान करेगा मदद
इन-स्पेस स्टार्ट-अप्स और निजी कंपनियों को इन प्रयोगों के लिए तकनीकी समर्थन और परीक्षण सुविधाएं प्रदान करेगा। अहमदाबाद स्थित इन-स्पेस के तकनीकी केंद्र में इन कंपनियों को अपनी परियोजनाओं के लिए जरूरी उपकरण और मदद मिलेगी। इन-स्पेस के निदेशक राजीव ज्योति ने बताया कि वे स्टार्ट-अप्स को उनके प्रयोग करने में मदद कर रहे हैं, जैसे कि विशेषज्ञों से मार्गर्शन देना और परीक्षण सुविधाएं उपलब्ध कराना।
पहल में इसरो के वैज्ञानिक भी शामिल
इस पहल में इसरो के वैज्ञानिक भी शामिल होंगे। इसरो की 'क्रॉप्स' नामक परियोजना अंतरिक्ष में बीजों के अंकुरण का अध्ययन करेगी। इसमें बैंगने के बीजों को विशेष कंटेनर में उगने के लिए रखा जाएगा, ताकि अंतरिक्ष में उनकी वृद्धि को देखा जा सके।
इन-स्पेस की क्या भूमिका है
इस मिशन में दस प्रयोग निजी कंपनियों की ओर से किए जाएंगे। जिनमें पौधो की कोशिकाओं की वृद्धि का अध्ययन, ग्रीन प्रोपल्शन सिस्टम का परीक्षण, सिंथेटिक रडार (एसएआर) द्वारा अंतरिक्ष में इमेजिंग शामिल है। इसके अलावा, कुछ अन्य प्रयोगों में अंतरिक्ष में संचार और उपग्रह सेंसर का परीक्षण भी किया जाएगा। इन-स्पेस स्टार्ट-अप्स को इसरो के सेवानिवृत्त विशेषज्ञों से जोड़ता है, ताकि किसी भी तकनीकी समस्या का समाधान किया जा सके। यह स्टार्ट-अप्स को अंतरिक्ष मिशनों में कामयाबी हासिल करने में मदद करती है।
रिपोर्ट रोशनी