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जिगना, मिर्जापुर: छानबे ब्लॉक के सुमतिया गांव के पाली मजरा में स्थित अमृत सरोवर, जो कभी उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या के नौकायन का साक्षी बना था, आज गंदगी और सूखे की मार झेल रहा है। वित्तीय वर्ष 2009-10 में मनरेगा योजना के तहत ढाई बीघा में निर्मित इस तालाब को 2022-23 में 14 लाख 52 हजार रुपये की लागत से अमृत सरोवर के रूप में गहरीकरण और सौंदर्यीकरण किया गया था। 2 सितंबर 2022 को उप मुख्यमंत्री ने इसका उद्घाटन कर तटबंध पर पौधे लगाए और एनडीआरएफ की मोटर बोट से नौकायन का लुत्फ उठाया था। तब प्रशासन ने सालभर पानी की उपलब्धता का वादा किया था, लेकिन आज सरोवर की तलहटी में कीचड़ युक्त बदबूदार पानी सिमट गया है, और पीने योग्य शुद्ध पानी तक उपलब्ध नहीं है।
सरोवर की दुर्दशा: गंदगी और सूखे का आलम अमृत सरोवर की स्थिति बदहाल हो चुकी है। तटबंध पर लगाए गए पीपल, पाकर, और बरगद के पौधे सिंचाई के अभाव में सूख रहे हैं। दक्षिण-पश्चिमी छोर पर बोरिंग होने के बावजूद मोटर पंप नहीं लगाया गया, जिससे जलभराव संभव नहीं हो सका। सरोवर के आसपास प्लास्टिक, पॉलिथीन, और कूड़ा-कचरा फैला हुआ है, जिससे बदबू और गंदगी का माहौल है। स्थानीय युवाओं का कहना है कि पशु-पक्षी पानी के लिए तरस रहे हैं, और सरोवर अपनी उपयोगिता खो चुका है।
युवाओं का प्रदर्शन, प्रशासन पर लापरवाही का आरोप सुबह गांव के युवाओं ने सरोवर की तलहटी में प्रदर्शन कर अपनी नाराजगी जाहिर की। सत्यम निवारी, प्रांजल, शिवम, सुमित, दिव्यांशु, शिवांश सहित अन्य युवाओं ने प्रशासन और ग्राम पंचायत पर लापरवाही का आरोप लगाया। उन्होंने मांग की कि सरोवर में अविलंब जलभराव किया जाए, कूड़ा-कचरा हटाने के लिए डस्टबिन लगाए जाएं, और सफाई व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। युवाओं ने चेतावनी दी कि यदि मांगें पूरी नहीं हुईं, तो आंदोलन तेज किया जाएगा।
ग्राम प्रधान का दावा: बारिश में भर जाएगा सरोवर ग्राम प्रधान कृष्णदेव पांडेय ने सफाई देते हुए कहा कि भूगर्भ जल से सरोवर भरने पर वाष्पीकरण के कारण पानी सूख जाएगा। उन्होंने दावा किया कि बरसात के मौसम में सरोवर स्वतः भर जाएगा, और सूखे पेड़ों में भी जान आ जाएगी। हालांकि, युवाओं ने प्रधान, सेक्रेटरी, और सफाईकर्मियों पर सरोवर की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए तत्काल कार्रवाई की मांग की।
निष्कर्ष: अमृत सरोवर योजना पर सवाल सुमतिया गांव का अमृत सरोवर उन कई सरोवरों में से एक है, जो रखरखाव के अभाव में बदहाल हो रहे हैं। यह स्थिति अमृत सरोवर योजना की प्रभावशीलता पर सवाल उठाती है। ग्रामीणों की मांग है कि प्रशासन इस दिशा में ठोस कदम उठाए, ताकि सरोवर फिर से उपयोगी बन सके और पशु-पक्षियों के साथ-साथ गांववासियों की जरूरतें पूरी हो सकें।

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