Shaurya News India
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वाराणसीः राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर मंगलवार को महिलाओं के सशक्तीकरण में उत्कृष्ट योगदान देने वाली 29 महिलाओं को 2020-2021 के लिए नारी शक्ति पुरस्कार प्रदान किया. जिसमें ख्यात साहित्यकार डॉ. नीरजा माधव को ट्रांसजेंडरों और तिब्बती शरणार्थियों के लिए विशेष लेखन कार्यों के भारत सर्वोच्च महिला नागरिक सम्मान नारी शक्ति पुरस्कार के लिए चुना गया है।

 

अनेक कहानी, कविता संग्रहों व उपन्यासों की लेखिका, साहित्य अकादमी समेत अनेक राष्ट्रीय पुरस्कारों से पुरस्कृत डॉ. नीरजा माधव पहली लेखिका हैं जिन्होंने तिब्बती शरणार्थियों, उनकी अहिंसक मुक्ति साधना व भारत चीन सीमा विवाद को लेकर दो उपन्यास, गेशे जंपा व देनपा : तिब्बत की डायरी और एक द्विभाषिक कविता फ्री टिबेट लिखी हैं. दोनों उपन्यास तिब्बत के बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा को समर्पित हैं।

 

गेशे जंपा उपन्यास तिब्बती विश्वविद्यालय सारनाथ के पाठ्यक्रम में भी शामिल है. इस उपन्यास को मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी सहित अनेक संस्थाओं से पुरस्कार मिल चुके हैं. इसे केंद्र में रखकर एक वृत्तचित्र का भी निर्माण हो चुका है. इसके साथ ही तेभ्य: स्वधा पुस्तक में उन्होंने भारत विभाजन की विभीषिका में नारियों के साथ हुए अत्याचार की गाथा लिखी है।

 

थर्ड जेंडर की मर्मांतक गाथा को उकेरते हुए उपन्यास यमदीप उपन्यास व किन्नर नहीं, हिजड़ा समुदाय लिखा. इसके माध्यम से इस समुदाय की जीवन की दुश्वारियां पूरे देश के सामने रखते हुए उन्होंने सर्वप्रथम 2002 में थर्ड जेंडर के लिए आरक्षण और मानवाधिकारों की मांग उठाई. इसके बाद पूरे देश में इसे लेकर एक विमर्श शुरू हुआ और वर्ष 2014 में उच्चतम न्यायालय ने थर्ड जेंडर को वे सभी मानवीय अधिकार प्रदान किए. लेखिका की इस सामाजिक क्रांति और साहित्य की मौन विजय को महिला और बाल विकास मंत्रालय ने गेम चेंजर और समाज में सकारात्मक बदलाव के उत्प्रेरक के रूप में स्वीकार किया और उनका नाम नारी शक्ति पुरस्कार के लिए प्रस्तावित किया गया। इनके अतिरिक्त देश के अन्य 28 लोगों को भी यह पुरस्कार दिया जाएगा. सोमवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री ने अपने आवास पर डा. नीरजा माधव समेत सभी पुरस्कार विजेताओं से वार्ता की और उनके कार्य की सराहना की।

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